zakat calculator 2025

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zakat calculator 2025ज़कात कैलकुलेटर इंडिया 2025 – ज़कात की गणना और इस्लामी शरीअत के अनुसार दिशा-निर्देश

ज़कात क्या है?
ज़कात इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, जिसे मुसलमानों के लिए अनिवार्य किया गया है। यह एक प्रकार की धन-सफाई और समाज में आर्थिक संतुलन बनाए रखने का माध्यम है। हर वह मुसलमान जो आर्थिक रूप से सक्षम है, उसे अपनी आय और संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा ज़रूरतमंदों को देना होता है।


कौन ज़कात देने के लिए योग्य है?

शरीअत के अनुसार, ज़कात देने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी होनी चाहिए:

  1. मुसलमान होना – ज़कात केवल मुसलमानों के लिए अनिवार्य है।
  2. बालिग (वयस्क) होना – नाबालिगों पर ज़कात अनिवार्य नहीं होती।
  3. आकिल (समझदार) होना – मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति पर ज़कात अनिवार्य नहीं।
  4. निसाब की सीमा पार करना – जिस व्यक्ति के पास निर्धारित निसाब (कम से कम संपत्ति) से अधिक धन-संपत्ति हो, उस पर ज़कात अनिवार्य है।
  5. संपत्ति का मालिक होना – संपत्ति पर पूरी तरह से अधिकार होना चाहिए।
  6. एक साल पूरा होना – निसाब के बराबर या उससे अधिक संपत्ति सालभर तक रहने पर ज़कात देनी होती है।

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Zakat Calculator India

Zakat Calculator (India)


निसाब (Zakat Nisab) – 2025 के लिए सीमा

निसाब की गणना इस्लामी शरीअत के अनुसार की जाती है।

  • सोना – यदि किसी के पास 87.48 ग्राम सोना (7.5 तोला) या अधिक है, तो ज़कात देना अनिवार्य है।
  • चांदी – यदि किसी के पास 612.36 ग्राम चांदी (52.5 तोला) या अधिक है, तो ज़कात देना अनिवार्य है।
  • नकद और व्यापारिक संपत्ति – यदि नकद, बैंक बैलेंस, व्यापारिक माल और अन्य निवेश की कुल कीमत चांदी के निसाब के बराबर या अधिक हो, तो ज़कात देनी होगी।

ज़कात की दर

ज़कात कुल संपत्ति का 2.5% (1/40) होती है।


ज़कात कैसे निकाली जाए?

ज़कात कैलकुलेटर (Zakat Calculator India 2025)

आप निम्नलिखित तरीके से अपनी ज़कात की गणना कर सकते हैं:

  1. नकद धनराशि: जितनी नकद राशि (बैंक और हाथ में) है, उसे जोड़ें।
  2. सोना और चांदी: वर्तमान बाज़ार मूल्य के अनुसार कुल मूल्य निकालें।
  3. व्यापारिक वस्तुएँ: जितनी संपत्ति और सामान व्यापार में लगा है, उसकी कीमत जोड़ें।
  4. कर्ज़: यदि किसी पर कोई कर्ज़ है, तो उसे कुल संपत्ति से घटाएं।
  5. कुल संपत्ति: ऊपर दिए गए सभी को जोड़कर, यदि यह निसाब के बराबर या अधिक है, तो इसका 2.5% निकालें।

ज़कात किन्हें दी जा सकती है? (सात योग्य वर्ग)

इस्लामी शरीअत के अनुसार, ज़कात इन लोगों को दी जा सकती है:

  1. फकीर (गरीब) – जिनके पास ज़रूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं।
  2. मिसकीन (अत्यधिक जरूरतमंद) – वे लोग जो अत्यधिक तंगहाली में हैं।
  3. ज़कात कलेक्टर – जो ज़कात एकत्र करने और वितरित करने का कार्य करते हैं।
  4. मु’अल्लफतुल-कुलूब (नए मुसलमान) – जो इस्लाम में नए आए हैं और सहायता की आवश्यकता है।
  5. ग़ुलामों की आज़ादी – जो ग़ुलामी से मुक्ति के लिए प्रयास कर रहे हैं।
  6. कर्ज़दार – जो अपने कर्ज़ को चुकाने में असमर्थ हैं।
  7. अल्लाह की राह में (फी-सबीलिल्लाह) – इस्लामी कार्यों और दीन के प्रचार-प्रसार में लगे लोग।

सामान्य प्रश्न (Q&A) – ज़कात पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्न 1: यदि कोई व्यक्ति केवल सोना रखता है लेकिन नकद पैसा नहीं है, तो क्या उसे ज़कात देनी होगी?

उत्तर: हाँ, यदि सोने की मात्रा 87.48 ग्राम या उससे अधिक हो, तो उसे उसका 2.5% ज़कात के रूप में देना होगा, चाहे वह नकद में दे या सोने में।

प्रश्न 2: क्या ज़कात अपने माता-पिता, बच्चों या पति/पत्नी को दी जा सकती है?

उत्तर: नहीं, ज़कात माता-पिता, दादा-दादी, बच्चों और जीवनसाथी को नहीं दी जा सकती, क्योंकि उनका खर्च पहले से ही ज़िम्मेदारी में आता है।

प्रश्न 3: यदि किसी की संपत्ति सालभर में कम हो जाए और निसाब से नीचे चली जाए, तो क्या ज़कात देना ज़रूरी है?

उत्तर: नहीं, यदि संपत्ति सालभर के दौरान निसाब से नीचे चली जाए, तो ज़कात अनिवार्य नहीं है।

प्रश्न 4: क्या ज़कात केवल रमज़ान में ही देनी होती है?

उत्तर: नहीं, ज़कात किसी भी महीने में दी जा सकती है, लेकिन अधिकतर लोग इसे रमज़ान में देना पसंद करते हैं क्योंकि इसका सवाब (पुण्य) अधिक होता है।

प्रश्न 5: क्या ज़कात दान (सदक़ा) की तरह होती है?

उत्तर: नहीं, ज़कात और सदक़ा में अंतर है। ज़कात अनिवार्य होती है, जबकि सदक़ा स्वैच्छिक दान होता है।

प्रश्न 6: क्या बैंक बैलेंस और फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) पर ज़कात देनी होगी?

उत्तर: हाँ, बैंक बैलेंस, फिक्स्ड डिपॉज़िट और अन्य निवेश जो निसाब की सीमा को पार करते हैं, उन पर ज़कात देनी होगी।

प्रश्न 7: क्या व्यापार में लगे माल पर ज़कात है?

उत्तर: हाँ, व्यापार में जितना माल लगा है, उसकी कुल कीमत निकालकर उस पर 2.5% ज़कात देनी होगी।


निष्कर्ष

ज़कात इस्लाम का एक अनिवार्य कर्तव्य है, जो समाज में गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए लागू किया गया है। सही तरीके से ज़कात निकालकर इसे हकदारों तक पहुँचाना जरूरी है। यदि आप अपनी ज़कात की सही गणना करना चाहते हैं, तो “ज़कात कैलकुलेटर इंडिया 2025” का उपयोग करें और सुनिश्चित करें कि आप इस्लामी शरीअत के अनुसार अपना फर्ज़ अदा कर रहे हैं।

अल्लाह हमें सही रास्ते पर चलने और हमारी ज़कात को कुबूल करने की तौफ़ीक़ दे, आमीन!

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