List of duas for First 10 Days of Ramadan|रमज़ान के पहले अशरा की विशेष दुआएं
रमज़ान का पाक महीना मुसलमानों के लिए आत्मशुद्धि, इबादत और अल्लाह की रहमत प्राप्त करने का विशेष समय होता है। इस महीने को तीन अशरों (दस-दस दिनों के हिस्सों) में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक का अपना महत्व है। पहला अशरा, यानी शुरुआती दस दिन, अल्लाह की रहमत (दया) के लिए समर्पित होते हैं। इस अवधि में विशेष दुआएं पढ़ी जाती हैं ताकि अल्लाह की अनुकंपा प्राप्त हो सके। [रमजान में पढ़ने वाली दुआओं की सूची]
रमज़ान का पहला अशरा: रहमत के दिन |List of duas for First 10 Days of Ramadan
रमज़ान के पहले दस दिनों को ‘अशरा-ए-रहमत’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है दया के दस दिन। इस दौरान, मुसलमान अल्लाह की असीम दया और कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं, ताकि उनकी जिंदगी में बरकत और सुकून आए।
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पहले अशरा की विशेष दुआ
इन दस दिनों में एक विशेष दुआ पढ़ी जाती है, जो अल्लाह से माफी और रहमत की दरख्वास्त करती है:

अरबी में दुआ:
رَبِّ اغْفِرْ وَارْحَمْ وَأَنتَ خَيْرُ الرَّاحِمِين
उच्चारण: रब्बिग़फ़िर वर-हम वा अंता ख़ैरुर-राहिमीन
हिंदी अनुवाद: “हे मेरे रब, मुझे माफ़ कर और मुझ पर रहम कर, क्योंकि तू सबसे अच्छा रहम करने वाला है।”
दुआ का महत्व
यह दुआ अल्लाह से माफी और दया की प्रार्थना है। इसे पढ़ने से इंसान के गुनाह माफ होते हैं और वह अल्लाह की रहमत का हकदार बनता है। रमज़ान के पहले अशरा में इस दुआ को अधिक से अधिक पढ़ना चाहिए ताकि अल्लाह की विशेष कृपा प्राप्त हो सके।
दुआ पढ़ने का तरीका List of duas for First 10 Days of Ramadan
- नमाज़ के बाद: हर फरज़ नमाज़ के बाद इस दुआ को पढ़ें।
- तहज्जुद में: रात की नमाज़ (तहज्जुद) में इस दुआ को शामिल करें।
- तिलावत के बाद: क़ुरआन की तिलावत के बाद इस दुआ को पढ़ें।
अन्य महत्वपूर्ण दुआएं
रमज़ान के पहले अशरा में निम्नलिखित दुआएं भी पढ़ी जा सकती हैं:
1. दुआ-ए-इस्तिग़फ़ार:
أَسْتَغْفِرُ اللّٰهَ رَبِّيْ مِنْ كُلِّ ذَنْبٍ وَأَتُوْبُ إِلَيْهِ
उच्चारण: अस्तग़फ़िरुल्लाह रब्बी मिन कुल्लि ज़म्बिन वा आतूबु इलैहि
हिंदी अनुवाद: “मैं अल्लाह से अपने सभी गुनाहों की माफी मांगता हूँ और उसकी ओर लौटता हूँ।”
2. दुआ-ए-नूर:
اَللّٰهُمَّ اجْعَلْ فِيْ قَلْبِيْ نُوْرًا وَفِيْ بَصَرِيْ نُوْرًا
उच्चारण: अल्लाहुम्मा इजअल फी क़ल्बी नूरन वा फी बसरी नूरन
हिंदी अनुवाद: “हे अल्लाह, मेरे दिल में और मेरी दृष्टि में नूर (प्रकाश) प्रदान कर।”
रमज़ान के पहले अशरा में करने योग्य कार्य-List of duas for First 10 Days of Ramadan
- क़ुरआन की तिलावत: रोज़ाना क़ुरआन पढ़ें और उसके अर्थ पर विचार करें।
- नफ़िल नमाज़: फरज़ नमाज़ के अलावा नफ़िल नमाज़ अदा करें।
- सदक़ा और खैरात: गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
- अख़लाक़ सुधारें: अपने आचरण को सुधारें और अच्छे कर्म करें।
- ज़िक्र: अल्लाह का ज़िक्र (स्मरण) अधिक से अधिक करें।
List of duas for First 10 Days of Ramadan
निष्कर्ष|List of duas for First 10 Days of Ramadan
रमज़ान का पहला अशरा अल्लाह की रहमत को प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। इस दौरान विशेष दुआएं और इबादत के जरिए हम अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं और अल्लाह की कृपा के पात्र बन सकते हैं। इसलिए, इन दिनों का भरपूर फायदा उठाएं और अल्लाह से अपनी गलतियों की माफी मांगें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
रमज़ान के पहले अशरा का क्या महत्व है?
पहला अशरा अल्लाह की रहमत के लिए समर्पित है, जिसमें मुसलमान उसकी दया और कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।
पहले अशरा की विशेष दुआ क्या है?
“रब्बिग़फ़िर वर-हम वा अंता ख़ैरुर-राहिमीन” – इसका अर्थ है, “हे मेरे रब, मुझे माफ़ कर और मुझ पर रहम कर, क्योंकि तू सबसे अच्छा रहम करने वाला है।”
इस दुआ को कब पढ़ना चाहिए?
इस दुआ को हर फरज़ नमाज़ के बाद, तहज्जुद में, और क़ुरआन की तिलावत के बाद पढ़ना उचित है।
क्या रमज़ान के पहले अशरा में अन्य दुआएं भी पढ़ी जा सकती हैं?
हाँ, दुआ-ए-इस्तिग़फ़ार और दुआ-ए-नूर जैसी अन्य दुआएं भी पढ़ी जा सकती हैं।
पहले अशरा में और कौन से कार्य करने चाहिए?
क़ुरआन की तिलावत, नफ़िल नमाज़, सदक़ा और खैरात, अख़लाक़ सुधारना, और अल्लाह का ज़िक्र करना चाहिए।
क्या रमज़ान के पहले अशरा में रोज़ा रखना अनिवार्य है?
जी हाँ, रमज़ान का रोज़ा हर मुसलमान पर फर्ज़ (अनिवार्य) है, जब तक कि वह किसी विशेष कारण जैसे बीमारी या यात्रा में न हो। रोज़ा आत्मसंयम और अल्लाह की रहमत पाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है।
पहले अशरा में नफ़िल इबादतें करने के फायदे
रमज़ान के पहले अशरा में नफ़िल इबादतें करना अत्यंत लाभकारी होता है। कुछ मुख्य फायदे इस प्रकार हैं:
- अल्लाह की विशेष रहमत प्राप्त होती है – इस अशरा में अधिक इबादत करने से अल्लाह की दया और कृपा हासिल होती है।
- गुनाहों की माफी मिलती है – दुआ और तौबा करने से पिछले गुनाह माफ हो जाते हैं।
- रूहानी सुकून मिलता है – इबादत से दिल को शांति और आत्मा को शुद्धता मिलती है।
- कयामत के दिन इनाम मिलेगा – अल्लाह वादा करता है कि जो उसका जिक्र करता है और इबादत करता है, उसे कयामत के दिन विशेष इनाम दिया जाएगा।
रमज़ान के पहले अशरा में यह गलतियाँ न करें
रमज़ान के पहले अशरा में कई लोग कुछ गलतियाँ कर बैठते हैं, जिनसे बचना चाहिए:
- सिर्फ इफ्तार और सहरी पर ध्यान देना – रमज़ान केवल खाने-पीने से दूर रहने का नाम नहीं, बल्कि इबादत, संयम और सद्क़ा का महीना है।
- दुआ और तिलावत को नज़रअंदाज़ करना – रमज़ान के अशरों में क़ुरआन की तिलावत और दुआ करना बहुत जरूरी है।
- ग़ीबत (चुगली) करना – ग़ीबत और बुरी बातें करने से रोज़े का असर कम हो जाता है।
- ज़्यादा सोना और समय बर्बाद करना – रमज़ान में अधिक से अधिक इबादत करनी चाहिए, न कि पूरा दिन सोकर निकाल देना चाहिए।
पहले अशरा के लिए एक सरल इबादत प्लान
अगर आप चाहते हैं कि पहले अशरा का पूरा लाभ मिले, तो इस आसान इबादत प्लान को अपनाएँ:
समय | इबादत |
---|---|
सहरी के बाद | तहज्जुद, इस्तिग़फार, फ़ज्र की नमाज़ |
सुबह | क़ुरआन की तिलावत, दुआ |
दोपहर | ज़ुहर की नमाज़, सदक़ा देना |
शाम | असर की नमाज़, दुआ-ए-रहमत |
इफ्तार से पहले | इबादत, इफ्तार की दुआ |
मगरिब के बाद | तिलावत, इस्लामिक ज्ञान प्राप्त करना |
इशा और तरावीह | इशा की नमाज़, तरावीह की नमाज़ |
निष्कर्ष
रमज़ान का पहला अशरा अल्लाह की रहमत को हासिल करने का सुनहरा अवसर है। इन दस दिनों में ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करें, दुआएं पढ़ें, रोज़े का सही मायनों में पालन करें और जरूरतमंदों की मदद करें। अल्लाह हम सभी को इन पाक दिनों का सही इस्तेमाल करने की तौफीक दे। आमीन!